अपना लिया बेगाने को | Ghazal Apna Liya
अपना लिया बेगाने को ( Ghazal Apna Liya Begane ko ) मैंने देखा है न बोतल को न पैमाने को शैख आते हैं मगर रोज़ ही समझाने को जाम पर जाम दिये जायेगी जब उनकी नज़र कौन जा सकता है इस हाल में मैख़ाने को निकहत-ओ-नूर में डूबी हुई पुरक़ैफ फ़िज़ा इक नया रंग सा … Continue reading अपना लिया बेगाने को | Ghazal Apna Liya
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