ऐ मुहब्बत | Ghazal Aye Muhabbat

ऐ मुहब्बत ( Aye Muhabbat ) ऐ मुहब्बत ! तिरा जवाब नहीं , तुमने किसको किया खराब नहीं ! हिज़्र, ऑंसू, फ़रेब, मक़्क़ारी, तुझमें शामिल है क्या अज़ाब नहीं ! तेरे कूंचे में ऐ मुहब्बत सुन, खार ही खार हैं गुलाब नहीं । एक धोखा है तेरी रानाई, अस्ल में तुझमें आबो ताब नहीं । … Continue reading ऐ मुहब्बत | Ghazal Aye Muhabbat