भूलना होगा | Ghazal Bhoolna Hoga

भूलना होगा ( Bhoolna hoga )    हमें ये लग रहा है की उसे अब भूलना होगा मनाया है बहुत इस बार लेकिन रूठना होगा। बहुत मसऱूफ़ है वो आजकल सब महफ़िलें छोड़ी मगर रहता कहां है आज उससे पूछना होगा। हमारी चाहतों ने कर दिया मग़रूर उस बुत को बना है वो ख़ुदा कहता … Continue reading भूलना होगा | Ghazal Bhoolna Hoga