चाहिए | Ghazal Chahiye

चाहिए ( Chahiye )   जब से दिल धड़का है वो गुलफ़ाम तबसे चाहिए एक बस हां एक ही वो शख़्स रब से चाहिए। मेरी ज़िद है वो निगाहों से समझ ले बात सब उस दिवाने को मगर इज़हार लब से चाहिए। भर ले तू परवाज़ लेकिन क़ैद होना है तुझे बस बता बांहों की … Continue reading चाहिए | Ghazal Chahiye