हे राजन ( Hey Rajan ) हे, राजन तेरे राज में,रोजगार नही है, मुफ़लिसों को वाजिब, पगार नही है। ==================== है खास जिनके धन के अंबार लगे है, देखो गरीब तुम्हारे, गुनाहगार नही है। ==================== ये कोई दुश्मन नही है तेरे तरस करो, भूखे है शोहरत के,तलबगार नही है। ==================== भर पेट खाना,बदन को छत … Continue reading हे राजन | Ghazal Hey Rajan
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