कहेगा कौन | Ghazal Kahega Kaun
कहेगा कौन ( Kahega Kaun ) ग़ज़ल में क़ाफ़िया उम्दा न शेरों में रवानी है कहेगा कौन तेरी शायरी ये ख़ानदानी है रखी है बाँध के सिर पे वही पगड़ी पुरानी है कहें क्या आपसे ये तो बुज़ुर्गों की निशानी है गया बचपन सुहाना आई है रंगी जवानी ये न जादू की छड़ी कोई न … Continue reading कहेगा कौन | Ghazal Kahega Kaun
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