मौजें पयाम की | Ghazal Maujen Payam ki
मौजें पयाम की ( Maujen payam ki ) क्या ख़ाक जुस्तजू करें हम सुब्हो-शाम की जब फिर गईं हों नज़रें ही माह-ए-तमाम की जो कुछ था वो तो लूट के इक शख़्स ले गया जागीर रह गई है फ़कत एक नाम की ख़ुद आके देख ले तू मुहब्बत के शहर में शोहरत हरेक सम्त … Continue reading मौजें पयाम की | Ghazal Maujen Payam ki
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed