मेरे शहर की नदी जो धार्मिक हो गई | Ghazal Mere Shehar ki

मेरे शहर की नदी जो धार्मिक हो गई ( Mere Shehar ki Nadi jo Dharmik Ho Gai )    प्यास की कहानी और मार्मिक हो गई, मेरे शहर की नदी जो धार्मिक हो गई। फरेब भी निठल्ली नहीं है आजकल, वो सियासत के महल में कार्मिक हो गई। चेहरे की रंगत तो बदली नहीं अभी … Continue reading मेरे शहर की नदी जो धार्मिक हो गई | Ghazal Mere Shehar ki