मुसाफ़िराना है | Ghazal Musafirana Hai

मुसाफ़िराना है ( Musafirana Hai ) हम ग़रीबों का यह फ़साना है हर क़दम ही मुसाफ़िराना है यह जो अपना ग़रीबख़ाना है हमको मिलकर इसे सजाना है कितना पुरकैफ़ यह ज़माना है रूठना और फिर मनाना है बीबी बच्चों की परवरिश के लिए जाके परदेश भी कमाना है सारे घर के ही ख़्वाब हैं इसमें … Continue reading मुसाफ़िराना है | Ghazal Musafirana Hai