बिल्कुल फींके-फींके हैं ईद के लम्हात भी

बिल्कुल फींके-फींके हैं ईद के लम्हात भी   किस हद तक बदल गए हैं, गांव के हालात भी, बिल्कुल फींके-फींके हैं, ईद के लम्हात भी। कल तक जो मेरे चरणों को छूते रहते थे लेकिन आज नहीं करते हैं वो सीधे मुंह से बात भी। सोचे तो कोई जाने भी, कितनी तन्हा लगती है, एक … Continue reading बिल्कुल फींके-फींके हैं ईद के लम्हात भी