रुलाती हमको | Ghazal Rulati Humko
रुलाती हमको ( Rulati Humko ) खिलातीं रोज़ गुल ये तितलियाँ हैं हुई भँवरों की गुम सब मस्तियाँ हैं हमारे साथ बस वीरानियाँ हैं जिधर देखो उधर तनहाइयाँ हैं ग़ज़ब की झोपडी में चुप्पियाँ हैं किसी मरते की शायद हिचकियाँ हैं रुलाती हमको उजड़ी बस्तियाँ ये कि डूबी बारिशों में कश्तियाँ हैं मुसीबत में नहीं … Continue reading रुलाती हमको | Ghazal Rulati Humko
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed