साये चले ( Saaye Chale ) ऐसे ऐसे अंधेरे कि साये चले पाँव डर डर के हम भी बढ़ाये चले जश्न तेरी ख़ुशी का मनाये चले अश्क पलकों में अपनी छुपाये चले अपनी हर इक ख़ुशी का गला घोंटा कर तेरी महफ़िल को रंगीं बनाये चले रात चमकी थी कुछ देर नन्ही किरण हम उसी … Continue reading साये चले | Ghazal Saaye Chale
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