उल्फ़त में | Ghazal ulfat mein

उल्फ़त में ( Ulfat mein )   उल्फ़त में  ऐ यार किसी की ऐसा लूटे है क्या हाल सुनाये इतना अंदर से टूटे है   क्या है तेरा मेरा रिश्ता समझें क्या तुझको ख़्वाबों से तेरे रोज़ सनम हम महके है   जो चाहे हम हल हो पाता काम नहीं कोई दौड़े है बद क़िस्मत … Continue reading उल्फ़त में | Ghazal ulfat mein