गुमान ( Gumnam ) रखिए ना गुमान किसी की मित्रता पर एक प्रतिशत ही होंगे खड़े जरूरत पर लेखक हो या शिक्षक करते हैं नमन केवल दरश पर अजीब सा बन गया है ढांचा समाज का मतलब से ही व्यवहार है आज का हमदर्दी के बोल ही रहते है अधर पर वक्त पर निकलता … Continue reading गुमान | Gumnaam
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed