आफत पे आफत ( Aafat pe aafat ) जो आन ही पड़ा था सो खामोसी से आ गया होता जाने वालो को किसका इन्तिज़ार, जा लिया होता हम पर तो आफत पे आफत है, और सब क़ुबूल है क्या होता अगर सजदा को सर ही ना दिया होता बात कभी किसी … Continue reading आफत पे आफत | Aafat shayari
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