हमसे अब नाराज़गी अच्छी नहीं आँखों में इतनी नमी अच्छी नहींहमसे अब नाराज़गी अच्छी नहीं बज़्म में बैठे वो नज़रें फेर करइश्क़ में ये बेरुख़ी अच्छी नहीं हौसला ता-ज़िंदगी रखना बुलंदइस क़दर आज़ुर्दगी अच्छी नहीं वो सराबों में ग़ज़ालों की तरहइश्क़ की सर गश्तगी अच्छी नहीं पास रखिए अपनी उल्फ़त का ज़राप्यार में आवारगी अच्छी … Continue reading हमसे अब नाराज़गी अच्छी नहीं
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