हँसकर मिलते हो | Hans Kar Milte ho

हँसकर मिलते हो ( Hans Kar Milte ho )   जो तुम यूँ हँसकर मिलते हो फूलों के माफ़िक लगते हो ग़म से यूँ घबराना कैसा आख़िर इससे क्यों डरते हो तुम जैसा तो कोई नहीं,जो माँ के चरणों में रहते हो गाँव बुलाता है आ जाओ क्यों तुम शहरों में बसते हो नफ़रत के … Continue reading हँसकर मिलते हो | Hans Kar Milte ho