हकीकत | Haqeeqat

हकीकत ( Haqeeqat )   सजाने लगे हैं घर, फूल कागज के अब किसी भी चमन में रवानी नही है बुझे बुझे से हैं जज्बात दिलों के सभी अब किसी भी दिलों में जवानी नहीं है बन गया है शौक, खेल मुहब्बत का भीतर किसी को दिली लगाव नहीं है इल्म भी वफा के अब … Continue reading हकीकत | Haqeeqat