हंसाने में रुलाने में | Ghazal hasane mein rulane mein

हंसाने में रुलाने में ( Hasane mein rulane mein )     हंसाने में रुलाने में मेरे दिल को जलाने में तेरा ही हाथ है जालिम मेरी हस्ती मिटाने में   तलब थी थे मुझे कब से तेरे दिल में जगह लूंगा कहां आकर फंसा हूँ मैं तेरे इस क़ैदखाने में   कोई दौलत का … Continue reading हंसाने में रुलाने में | Ghazal hasane mein rulane mein