हम दो ( Hum do ) जहांँ हम दो हैं वहीं है परिवार सारा साज- श्रृंँगार सुरक्षा और संस्कार। जब साथ होते हैं सुकून में भीगे-भीगे लम्हात होते हैं नेह का मेह बरसता है खुद पर विश्वास आशाओं का आकाश होता है। दौड़ती -भागती जिंदगी में ये अल्पविराम अभिराम होता है इन पलों में जैसे … Continue reading हम दो | Hum Do
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