हमदम मेरे ( Humdum Mere ) हमदम मेरे कब आओगे या ऐसे ही तड़पाओगे वक़्त है अब भी आ जाओ तुम वक़्त गया तो पछताओगे उतना ही उलझेंगी काकुल जितना इनको सुलझाओगे आ भी जाओ बाहों में अब कब तक यूं ही तरसाओगे फोन पे ही फ़रमा दो दिलबर हम पे करम कब फ़रमाओगे खोल … Continue reading हमदम मेरे | Humdum Shayari
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