इंसान की पहचान | Insan ki pehchan | Kavita
इंसान की पहचान ( Insan ki pehchan ) इंसान की पहचान, मानव रे जरा जान। औरों के दुख दर्द की, परवाह कीजिए। मानव धर्म जान लो, कर्म को पहचान लो। इंसानियत ही धर्म, शुभ कर्म कीजिए। करुणा प्रेम बरसे, हृदय सारे हरसे। होठों पे हंसी सबको, मुस्काने भी दीजिए। दुख दर्द … Continue reading इंसान की पहचान | Insan ki pehchan | Kavita
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