इस्कॉन | Iskcon

इस्कॉन! ( Iskcon )   चलो ईश्वर को चलके देखते हैं, एक बार नहीं, हजार बार देखते हैं। सारी कायनात है उसकी बनाई, आज चलो मुक्ति का द्वार देखते हैं। सृजन – प्रलय खेलता है उसके हाथ, चलकर उसका श्रृंगार देखते हैं। आँख से आँख मिलाएँगे उससे, उसका अलौकिक संसार देखते हैं। महकती वो राहें … Continue reading इस्कॉन | Iskcon