जैसा मैं चाहती थी वैसा वो कर रहा है

जैसा मैं चाहती थी वैसा वो कर रहा है जैसा मैं चाहती थी वैसा वो कर रहा हैदिल को मगर न जाने क्या फिर अखर रहा है। उसकी वो सर्द महरी पत्थर के जैसा लहज़ाअब ये बता रहा है सब कुछ बिखर रहा है। जो है खुशी मयस्सर उसमें नहीं बशर खुशजो ख़्वाहिशात बाकी बस … Continue reading जैसा मैं चाहती थी वैसा वो कर रहा है