जल ही जीवन ( Jal Hi Jeevan Hai ) बूॅ॑द -बूॅ॑द से घड़ा भरे, कहें पूर्वज लोग, पानी को न व्यर्थ करें, काहे न समझे लोग। जल जीवन का आधार है,बात लो इतनी मान। एक चौथाई जल शरीर, तभी थमी है जान। जल का दुरुपयोग कर, क्यों करते नुकसान। जल से है … Continue reading Jal par kavita | जल ही जीवन
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