Jal par kavita | जल ही जीवन

जल ही जीवन ( Jal Hi Jeevan Hai )   बूॅ॑द -बूॅ॑द  से  घड़ा  भरे, कहें  पूर्वज  लोग, पानी को न व्यर्थ करें, काहे न समझे लोग।   जल जीवन का आधार है,बात लो इतनी मान। एक  चौथाई  जल  शरीर,  तभी थमी है जान।   जल का दुरुपयोग कर, क्यों करते नुकसान। जल  से  है  … Continue reading Jal par kavita | जल ही जीवन