जलेबी | Jalebi par Kavita

जलेबी ( Jalebi)    हुस्न-ओ-शबाब से कसी है जलेबी, गर्म आँच पे खूब तपी है जलेबी। तुर्को ने लाया भारत में देखो, लज्जत जिन्दगी की बढ़ाती जलेबी। व्यंग्य से भरी है इसकी कहानी, फीकी न पड़ती इसकी जवानी। खुशबू है अंदर, खुशबू है बाहर, खुद को मिटाकर चमकी जलेबी। हुस्न-ओ-शबाब से कसी है जलेबी, गर्म … Continue reading जलेबी | Jalebi par Kavita