जय भारत ( Jay Bharat ) फिर से अलख जगाना होगा बुझती ज्योत को उठाना होगा संचार विहीन सुप्त चेतना हुयी प्राण सुधारस फिर भरना होगा.. छूट रहे हैं सब अपने धरम करम निज स्वार्थ ही है अब बना मनका मरी भावना रिश्तों मे अपने पन की घृणित कर्म नही हो,सनातन का.. हिंदी होकर … Continue reading जय भारत | Jay Bharat
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