जज्बात | Jazbaat poetry

जज्बात ( Jazbaat )   मचलते दिल में कुछ अरमान मेरे, जग रही ही अब। दबा था दिल जो वो प्यास शायद, जग रही ही अब।   तरन्नुम में कहु तो, हाल ए दिल बेचैन है दिलवर, तुम्ही पे मर मिटू हुंकार ये चाहत, जग रही है अब।   ये रातें नाग बनकर डंस रही … Continue reading जज्बात | Jazbaat poetry