जिधर देखता हूं,उधर तू ही तू है | Jidhar Dekhta hoon
जिधर देखता हूं,उधर तू ही तू है ( Jidhar dekhta hoon, udhar tu hi tu hai) धरा चाहे घूमूं गगन चाहे छू लूं पवन बनकर चारो दिशाओं में ढूढूं कण कण में जलवा,तेरा हू -बहू है जिधर देखता हूं,उधर तू ही तू है। इधर चाहे ढूढ़ूं उधर चाहे ढूढ़ूं मैं अनजान राही सा … Continue reading जिधर देखता हूं,उधर तू ही तू है | Jidhar Dekhta hoon
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