कागा की कविताएं | Kaga Hindi Poetry

सपूत कपूत सपूत के भरोसे सब कुछ होता कपूत के भरोसे नहीं कुछ होता परिवार का मुखिया सुपात्र एक मात्र नाम करता रोशन सब कुछ होता क़ौम का रहनुमा संजीदा सजग हो सपूत को सम्मान सब कुछ होता कपूत बन मुखोटा करता कलह कलेश उम्र भर अपमान सब कुछ होता बद्धि बुद्धि पर निर्भर ताना-बाना … Continue reading कागा की कविताएं | Kaga Hindi Poetry