कैसा धर्म | Kaisa Dharam

कैसा धर्म ( Kaisa dharam )    भगवा तो कभी ‌हरा ओढ़ा दिया रंग हीन,उस दयादीन को कैसा कैसा जामा पहना दिया निर्गुण, निराकार को सब ने जाने क्या क्या अपनी मर्जी से आकार दिया सर्व भूत, सर्व व्यापी तुझे हमने कैद कर दीवारों में बांध दिया हे स्रष्टा ,जग केरचयिता तुझको ही सीमाओं से … Continue reading कैसा धर्म | Kaisa Dharam