कैसा धर्म | Kaisa Dharam
कैसा धर्म
( Kaisa dharam )
भगवा तो कभी हरा ओढ़ा दिया
रंग हीन,उस दयादीन को
कैसा कैसा जामा पहना दिया
निर्गुण, निराकार को
सब ने जाने क्या क्या
अपनी मर्जी से आकार दिया
सर्व भूत, सर्व व्यापी
तुझे हमने कैद कर
दीवारों में बांध दिया
हे स्रष्टा ,जग केरचयिता
तुझको ही सीमाओं से
हम सब ने है बांट दिया
निर्भय तू निरवैर तू
तेरे मौन को ‘ धर्म’ कह
सब ने देखो, कैसा अधर्म बरपा दिया
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )