क़लम की ताकत: एक लेखिका की जुबानी

क़लम की ताकत मेरी क़लम है मेरी जुबां,जिससे कहती हूँ हर दास्तां।हर दर्द, हर खुशी के रंग,इसी से रचती हूँ मैं जीवन के ढंग। यह स्याही नहीं, यह भावना है,जो दिल से निकल, कागज पर थामना है।हर अक्षर में बसती है एक सदी,यह कलम तो मेरे सपनों की नदी। कभी चुप रहकर चीखती है,अन्याय पर … Continue reading क़लम की ताकत: एक लेखिका की जुबानी