कम समझता है | Kam Samajhta hai

कम समझता है ( Kam samajhta hai )   दिलों की बात क्यूं जाने वो अक्सर कम समझता है मेरी फितरत है शोला सी मुझे शबनम समझता है। मुझे डर है कि उसका ज़ख़्म मत नासूर बन जाए वो पगला दोस्तों को ज़ख़्म का मरहम समझता है। जरा इंसान की नाशुक़्रियों पर गौर करिए तो … Continue reading कम समझता है | Kam Samajhta hai