कमलेश विष्णु की कविताएं | Kamlesh Vishnu Hindi Poetry
रो रही है क्यों धरा रक्षित कवच धरा का देखो,छिद्रित हुआ ओजोन है!ग्रहण लगा है नीरवता का,हुई मनुजता मौन है !! ना जाने क्यों व्यथा सिंधु में,डूब रही मानवता है!पशु प्रवृत्ति के रंग रेचक में,इतराती क्यों दानवता है !! लोभी मानव की नादानी ने,धरती का भूषण लूटा है!संयम सेवा त्याग तपस्या,का कंचन घट यह फूटा … Continue reading कमलेश विष्णु की कविताएं | Kamlesh Vishnu Hindi Poetry
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