काशाना मंज़ूर हुआ

काशाना मंज़ूर हुआ तेरे दिल का अब हमको हर काशाना मंज़ूर हुआतेरी ज़ुल्फ़ों के साये में मर जाना मंज़ूर हुआ उठने लगीं हैं काली घटायें छलके हैं जाम-ओ-साग़रऐसे आलम में तुझको भी बलखाना मंज़ूर हुआ महकी महकी गुलमेंहदी है चाँद सितारे भी रौशनऐसे मौसम में उनको भी तरसाना मंज़ूर हुआ लहराते हैं ज़ुल्फें हमदम हर … Continue reading काशाना मंज़ूर हुआ