कठपुतली ( Kathputli) ताल तलैया भरे हुए है, भरे है नयन हमार। आए ना क्यों प्रेम पथिक, लगता है भूले द्वार। उमड घुमड़ कर मेघ घिरे है, डर लागे मोहे हाय। बरखा जल की बूंदें तन मे, प्रीत का आग लगाय। बार बार करवट लेती हूँ,मन हर पल घबराये। आ जाओ इस … Continue reading कठपुतली | Kavita kathputli
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