कवि हूँ कविता में जिन्दा रहता हूँ | Kavi Hoon

कवि हूँ, कविता में जिन्दा रहता हूँ ( Kavi Hoon Kavita me Jinda Rahta Hoon )    तुम समझ सको, शब्दों की भाषा, तुम जान सको, सपनों की आशा। बादलों का उड़ना, तुम देख सको, बहती हवा को, तुम महसूस करो। तुम डूब के जानो, सागर की गहराई, तुम उड़ के नापो, अम्बर की ऊँचाई। … Continue reading कवि हूँ कविता में जिन्दा रहता हूँ | Kavi Hoon