आज भी बेटियाँ | Kavita Aaj Bhi Betiyan

आज भी बेटियाँ ( Aaj Bhi Betiyan )   सिल बट्टा घिसती है, खुद उसमे पिसती है, बूँद बूँद सी रिसती है, मगर फिर भी हँसती, आज भी बेटियाँ गाँव शहर में….!! नाज़ो से पलती है, चूल्हे में जलती है, मनचाही ढलती है, फिर भी ये खलती है, आज भी बेटियाँ गाँव शहर में ….!! … Continue reading आज भी बेटियाँ | Kavita Aaj Bhi Betiyan