आरंभ लिखूं या अंत लिखूं | Kavita Aarambh Likhoon ya Ant Likhoon

आरंभ लिखूं या अंत लिखूं ( Aarambh likhoon ya ant likhoon )    आरंभ लिखूं या अंत लिखूं, मैं लिख दूं मस्त बयार। प्रेम की पाती मनभावन, या दिलों में उमड़ता प्यार। जीवन सुहानी भोर लिखूं, मैं लिख दूं वो ढलती शामें। रिश्तों की नाज़ुक डोर लिखूं, विश्वास दिलों को थामें। मन की कोई पीर … Continue reading आरंभ लिखूं या अंत लिखूं | Kavita Aarambh Likhoon ya Ant Likhoon