ऐसी वो अनपढ़ पीढ़ी | Kavita Aisi wo Anpadh Pidhi
ऐसी वो अनपढ़ पीढ़ी ( Aisi wo anpadh pidhi ) हम है! हिन्दी भाषा के लेखक, कोई न समझे हमें चाहें बेशक। घूमती है यह एक बात मस्तक, कोई मिल जाये नूतन शीर्षक।। दिन में मिलता ना हमें आराम, रात्रि लिखनें में करतें है ख़राब। कब हुई आधी कब भौर ये हुई, मुझे लगा … Continue reading ऐसी वो अनपढ़ पीढ़ी | Kavita Aisi wo Anpadh Pidhi
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