बचपन आंगन में खेला | Kavita bachpan aangan mein khela

बचपन आंगन में खेला ( Bachpan aangan mein khela )   नन्हे नन्हे पाँवों से जब,बचपन आँगन में खेला। मेरे घर फिर से लगता है,गुड्डे गुड़ियों का मेला।। खाली शीशी और ढक्कन में, पकवान भी खूब सजें डिब्बों पीपों में लकड़ी संग, रोज ढोल भी खूब बजें खिड़की के पीछे जा जाकर, टेर लगाना छिप … Continue reading बचपन आंगन में खेला | Kavita bachpan aangan mein khela