जलधारा से बहे जा रहे हैं | Kavita Bahe ja Rahe Hain
जलधारा से बहे जा रहे हैं ( Jal dhara se bahe ja rahe hain ) गीत पुराने कहे जा रहे हैं, जलधारा से बहे जा रहे हैं। भाव सिंधु काबू रखो, कब से खड़े हम सहे जा रहे हैं। ये संसार दुखों का सिंधु, पग पग तूफां बने आ रहे हैं। बाधा मुश्किल अड़चन … Continue reading जलधारा से बहे जा रहे हैं | Kavita Bahe ja Rahe Hain
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