बेचना है तो नभ को बेच धरा को रहने दे | Kavita Bechna Hai to

बेचना है तो नभ को बेच धरा को रहने दे   बेचना है तो नभ को बेच धरा को रहने दे नदी को रहने दे और किनारा को रहने दे मछुआरे मछलियांँ पकड़ कर जी लेते हैं रूखी – सूखी रोटियांँ सहारा को रहने दे सड़क पर दौड़ लेती है तेरी नयी गाड़ियांँ एक मेरी … Continue reading बेचना है तो नभ को बेच धरा को रहने दे | Kavita Bechna Hai to