बेकाबू मन | Kavita bekaaboo mann

बेकाबू मन ( Bekaaboo mann )     बेकाबू मन मेरा बार बार, स्मरण तुम्हारा करता है। तर जाता जनम मरण मेरा यदि,ईश्वर मे ये रमता है।   तुम मोह मेरे हरि मोक्ष रहे,मन जान नही ये पाता मेर। मन के संग प्रीत का मंथन है, हुंकार हृदय घबराता है।   आशा में तनिक निराशा … Continue reading बेकाबू मन | Kavita bekaaboo mann