भोर तक ( Bhor Tak ) लोग तो बदल जाते हैं मौसम का रंग देखकर मगर तुम न बदलना कभी मेरा वक्त देखकर बड़े नाज़ों से पाला है, यकीं हो न हो तुम्हें शायद पर तुम न बदलना कभी जमाने का ढंग देखकर सूरत हो कैसी भी आपकी, दिल से प्यारी मुझे समझ लेना … Continue reading भोर तक | Kavita Bhor Tak
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed