चांद भी फीका पड़ जाए ऐसा रूप मैंने देखा | Kavita Chand

चांद भी फीका पड़ जाए ऐसा रूप मैंने देखा ( Chand bhi fika pad jaye aisa roop mein ne dekha )   चांद भी फीका पड़ जाए ऐसा रूप है मैंने देखा उतरी हो अप्सरा कोई या भाग्य की किस्मत रेखा मधुर मधुर मुस्कान बिखेरे छैल छबीली चले चाल महक उठता मधुबन सारा मन के … Continue reading चांद भी फीका पड़ जाए ऐसा रूप मैंने देखा | Kavita Chand