ध्यान आपका ही धरता हूं | Kavita Dhyan Aapka hi Dharta Hoon

ध्यान आपका ही धरता हूं ( Dhyan aapka hi dharta hoon )    मैं हर जगह बस छवि आपकी, नैनों में देखा करता हूं। तारणहारा तुम हो भगवान, ध्यान आपका ही धरता हूं।। अज्ञानी हूं अनजाना हूं, दोष भरें हैं घट में मेरे। गुरुवर तुम बिन कौन सहायक, नाम रटूं मैं सांझ सवेरे। उलझा विषियन … Continue reading ध्यान आपका ही धरता हूं | Kavita Dhyan Aapka hi Dharta Hoon