गर्दिशों में मुस्कुराते रहे | Kavita gardishon mein muskurate rahe
गर्दिशों में मुस्कुराते रहे ( Gardishon mein muskurate rahe ) हंसते रहे हम गाते रहे गर्दिशों में मुस्कुराते रहे तूफां आते जाते रहे हौसलों से रस्ता बनाते रहे उर उमंगे उठती रही गीत प्यार भरे गुनगुनाते रहे मौसम बदले रूप कई रूठे को अक्सर मनाते रहे गर्दिशो में मुस्कुराते रहे आंधियों में खेले कभी … Continue reading गर्दिशों में मुस्कुराते रहे | Kavita gardishon mein muskurate rahe
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